दोस्तों रोज मर्रा की जिंदगी में आप जाने अंजाने ऐसे कई काम करते हैं… जिसके चलते घर में कलह, अशांति और कंगाली आने लगती है.. इतना ही नही उस से घर की सुख शांति पर भी खराब असर पड़ता है… पर क्योंकि आपको उस बारे में जानकारी नही होती.. इसलिए आपका ध्यान उधर नही जाता..
दरअसल, वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मंदिर में कभी भी किसी देवी देवता की एक से ज्यादा मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए… क्यों कि ऐसा करने से घर की शांति भंग होती है… और साथ ही काम बनते- बनते बिगड़ने लगते हैं.. जानकारों की माने तो इससे घर में रहने वाले लोगो की जिंदगी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है… कई बार तो लोगो को मानसिक बीमारियां भी घेर लेती है।
इतना ही नही घर में कभी भी किसी भगवान के रौद्र रुप की तस्वीर या मूर्ति भी नही होनी चाहिए.. खासतौर से हनुमान जी की, भगवान शिव की और माता काली की.. क्यों कि इसका सीधा असर घर की सुख शांति पर पड़ता है.. इसलिए बिना देर किये घर से ऐसी मूर्तियों को तुरंत हटा दें… कहते हैं घर के मंदिर में भगवान की रौद्र फोटो रखने से घर में कलेश होने लगता है…और घर का माहौल भी नकारात्मक हो जाता है।
बेहतर होगा इसकी बजाय आप भगवान के सौम्य रुप की प्रतिमा घर में रखें… या फिर ऐसी कोई मूर्ति जिसमें वो मुस्कुरा रहे हो या फिर आशीर्वाद दे रहे हों… ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हैं।
वैसे आपको एक बात का ध्यान और रखना है… और वो ये कि आपके घर के पूजा स्थल में एक से ज्यादा शंख न रखें हो.. मान्यताओं के अनुसार शंख भगवान विष्णु का प्रतीक होता है… आपने देखा होगा चतुर्भुज स्वरुप में भगवान विष्णु अपने एक हाथ में शंख धारण किये रहते है… इसलिए इसे रोज- रोज बदलना सही नहीं… अगर आपके पूजा घर में एक से ज्यादा शंख है… तो उसे किसी पवित्र नदी में बहा दें।
अगला है बासी फूल… दोस्तों ये तो आप सब जानते हैं कि भगवान को फूल चढ़ाने से वो बहुत खुश होते है.. इतना ही नही ऐसा करने से उनकी कृपा भी आप पर बरसने लगती है.. लेकिन इसी के साथ अगर आप मंदिर में बासी फूल छोड़ देते हो.. तो आपको इसका दुष्परिणाम भी भुगतना पड़ेगा… क्यों कि बासी या सूखे फूल नकारात्मकता को आकर्षित करते हैं… इतना ही नही इससे घर के लोगो को बीमारियां भी घेरने लगती है… इसलिए बेहतर होगा कि आप सूखे फूलों को मंदिर से तुरंत हटा दिया करें।
ये तो बात हुयी फूलों की… लेकिन अगर बात तुलसी की आती है… तो आपको बता दें उसके पत्तों को 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता है… यानी की आप तुलसी की एक पत्ति को गंगाजल से धोकर भगवान को रोज ग्यारह दिनों तक अर्पित कर सकते हैं।
अब बात करते है टूटी हुई मूर्तियों की….
खंडित मूर्तियों को लेकर कहा जाता है कि ऐसी मूर्तियों की पूजा करने से आपकी पूजा सफल नही होती… और न ही आपको उस पूजा- पाठ का फल मिलता है… क्यों कि ये मूर्तियां आपके मन में एकाग्रता पैदा नही कर पाती… और अगर मन में एकाग्रता नही होती तो मन कभी शांत नही हो पाता… इसलिए बेहतर होगा कि आप भगवान की खंडित मूर्तियों को तुरंत पूजा स्थल से हटा दें।
लेकिन दोस्तों शिपुराण में कहा गया है कि अगर भक्त सच्चे मन से टूटे या खंडित शिवलिंग की भी पूजा करता है… तो उसे उसकी पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है… महादेव उसकी इस भक्ति को भी स्वीकार करते हैं… ऐसा इसलिए क्यों कि शिवलिंग को निराकार कहा गया है… यही कारण है कि खंडित शिवलिंग को भी धर्म-शास्त्रों में पूजनीय बताया गया है।
अगला है पितरों की तस्वीरें
दोस्तों जब परिवार में किसी की मृत्यु हो जाती है.. तो वो पितर माने जाते हैं.. आप सभी के घर में आपके पितरों की तस्वीरें जरुर होंगी.. लेकिन अगर आपने उनकी फोटो को घर के मंदिर में रखा है.. तो उसे तुरंत हटा दें.. क्यों कि ऐसा करना सनातन धर्म में पूरी तरह से वर्जित है… और इसके पीछे की वजह ये है कि ऐसा करने से घर की समृद्धि और खुशहाली में रुकावट आती है।
इतना ही नही अगर आप पितरों की तस्वीर को भगवान के साथ रखते हैं.. तो इससे आप उनका और भगवान दोनों का ही अपमान करते हैं.. जिसके परिणास्वरुप घर में दुर्भाग्य आ सकता है।
आखिर में आपको एक बात का खास ध्यान रखान है कि घर के मंदिर नीले रंग का बल्ब न लगा हो.. क्योंकि ये बहुत अशुभ होता है… याद रहे मंजिर में हमेशा पीले रंग का ही बल्ब लगाना चाहिए… धर्म- ग्रंथो की माने तो भगवान श्रीहरि को पाली रंग सबसे ज्यादा पसंद है.. इस वजह से पूजा पाठ से जुड़े कार्यक्रमों में पीले रंग का खास महत्व होता है।