दोस्तों अगर मैं आपको कोई प्रसाद दूं.. और बोलू की इसे आपको तुरंत यहीं खत्म करना है तो… मतलब मैं उस प्रसाद को घर ले जाने से मना कर दूं तो.. आप पक्का यही सोचेंगे कि कैसा अजीब व्यक्ति है… अरे भगवान का प्रसाद है कहीं भी ले जाकर खाऊं… पर क्या आप जानते है हमारे देश में एक ऐसा मंदिर है जिसका प्रसाद उसी मंदिर में ही खाना होता है… मान्यता है कि उस मंदिर का प्रसाद घर लाने से इंसान की मृत्यु हो सकती है..
अब अगर आप सोच रहें है कि ये मंदिर बालाजी महाराज का है… तो बता दें आप गलत सोच रहें हैं।
दरअसल, गुजरात के महौड़ी ड्रिस्टिक में बेहद प्रसिद्ध जैन मंदिर है… जो घंटाकरण महावीर जी को समर्पित है… इस मंदिर में प्रसाद के रुप में गुजरात की फेमस मिठाई सुखड़ी दी जाती है… पर इस प्रसाद से जुड़ी ऐसी मान्यता है जो आपके होश उड़ा देगी… मान्यताओं के अनुसार मंदिर में जब आपको प्रसाद दिया जाता है… तो उसे उसी वक्त वहीं खाना होता है… यानी की प्रसाद के रुप में मिलने वाली वो सुखड़ी मंदिर में ही ग्रहण करनी होती है.. अगर आप गलती से भी उस प्रसाद को मंदिर के बाहर खाते हैं… तो आपके साथ अनहोनी हो सकती है।
बता दें मंदिर में प्रसाद को लेकर काफी कड़े रूल्स बना रखें हैं… ताकि सभी लोग उसे वहीं पर खायें.. लेकिन कहते है एक बार कुछ लोगो ने ऐसा करने से मना कर दिया था.. जिसके बाद वो लोग सुखड़ी लेकर अपने- अपने घर जाने लगे… कहा जाता है जिन लोगो ने ऐसा किया… उनमें से कुछ का एक्सीडेंट हो गया और कुछ ही मृत्यु।
तो दोस्तों अगर कभी आपको इस मंदिर जाने का सौभाग्य प्राप्त हो… तो भूल कर भी प्रसाद को घर लाने की कोश्शि न करना… वरना आपको भी दिक्कतों और परेशानियों का भार उठाना पड़ सकता है।
वैसे हमारे देश में ऐसे कई और अजीबो- गरीब मंदिर है… जिनके बारे में जानकर आपके पैरो तले जमीन खिसक जायेगी..
आपको बता दें, कानपुर के घाटमपुर में जगन्नाथ मंदिर के नाम से एक बेहद प्राचीन मंदिर है… वैसे तो ये मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है… लेकिन इसे मानसून मंदिर के नाम से भी जाना जाता है… इस मंदिर की खासियत है कि ये बारिश होने से पहले ही ये बता देता है कि बारिश होने वाली है… इतना ही नहीं ये मंदिर इस बात की भी जानकारी देता है कि बारिश कम होगी या ज्यादा।
मान्यताओं के अनुसार मानसून आने के सात- आठ दिन पहले ही मंदिर की छत पर लगे गुंबज के पत्थर से पानी की बूंदें अपने आप टपकने लगती है.. जो इस बात का संकेत देती है कि बारिश होने वाली है… जब बड़ी बूंदे गिरती है, तो इसका मतलब होता है कि बारिश अच्छी होगी… मगर जब छोटी और कम बूंदे गिरती है, तो उसका मतलब होता है कि बारिश कम होगी.. इतना ही नहीं जैसे ही बारिश होने लगती है.. वो बूदें अपने आप टपकना बंद हो जाती है।
और तो और बारिश के दौरान मंदिर के गर्भ गृह में पानी की एक बूंद तक नही गिरती… इस अनोखे मंदिर की एक खासियत और है… मंदिर के ऊपर एक चमत्कारी सूर्य चक्र लगा है…. स्थानीय लोगो की माने तो इस चक्र की वजह से ही आज तक कभी उस गांव में और उसके आसपास के इलाके में आकाश से बिजली नहीं गिरी।
कहते है पूरे हिंदुस्तान में जगन्नाथ बाबा का ऐसा मंदिर आपको और कही नहीं मिलेगा… क्योंकि इस मंदिर की बनावट के साथ- साथ इसकी मूर्ति भी अनोखी है… मंदिर में भगवान जगन्नाथ की जो मूर्ति है… उसमे भगवान श्रीहरिविष्णु के 24 अवतारों की झलक साफ देखने को मिलती हैं…. हैरानी की बात तो ये है कि इन चौबीस अवतारों में विष्णु जी का वो अवतार भी शामिल है… जो वो कलयुग के अंत में लेंगे, यानी कि कल्कि अवतार।
इसके अलावा राजस्थान की राजधानी जयपुर में गढ़ गणेश नाम से गजानन का एक प्रचीन मंदिर है, जो लगभग तीन सौ पचास साल पुराना है… उत्तर में अरावली की पहाड़ी पर ये मंदिर एक मुकुट के जैसा दिखाई देता है… ये एकलौता ऐसा मंदिर है जहां भगवान गणेश के बाल रुप की प्रतिमा स्थापित है.. इसीलिए यहां पर गणेश जी बिना सूड़ के विद्यमान है।
नाहरगढ़ की पहाड़ी में इस मंदिर में महाराजा सवाई जयसिंह ने अश्वमेघ यज्ञ करवा कर गणपति जी के बाल स्वरुप की पूरे विधि- विधान के साथ स्थापना करवायी थी… कहते है इस मंदिर की स्थापना तांत्रिक विधि से की गई है… मान्यता है कि पहले के राजा महाराजा अपने दिन की शुरुआत गणेश जी के दर्शन कर के करते थे.. इसलिए इस मंदिर को कुछ इस तरह से बनवाया गया कि सिटी पैलेस के इंद्र महल से महाराज दूरबीन से भगवान गणेश के दर्शन कर सकें… मंदिर की खास बात ये भी है कि इस मंदिर तक पहुंचने के लिए रोज एक सीढ़ी बनवायी जाती थी और इसलिए मंदिर का निर्माण काम पूरे साल चला और मंदिर में कुल तीन सौ पैसठ सीढ़िया बनी।