दोस्तों आपने यहीं सुना होगा कि बजरंगबली को लड्डू का भोग लगाया जाता है, वो भी तुलसी के साथ.. और आप ऐसा करते भी होंगे… लेकिन क्या आप ये जानते है हनुमान जी का एक मंदिर ऐसा भी है जहां उन्हें भांग को भोग लगाया जाता है.. पर सोचने वाली बात है कि ये मंदिर कौन सा है और क्यों वहां लड्डू नही भांग का भोग लगाते है..

इस मंदिर में क्यों लगता है हनुमानजी को भांग का भोग
श्रीराम की कर्म भूमि चित्रकूट में हनुमान जी का एक ऐसा अनोखा मंदिर में जहां उन्हें भांग का भोग लगाया जाता है.. इतना ही नहीं मान्यता है कि यहां के बजरंगबली बूढ़े है… यानि की इस मंदिर में बूढ़े हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है… दरअसल, हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है,
इसलिए इस मंदिर में बूढ़े हनुमान जी की प्रतिमा को भांग का भोग लगाया जाता है… जिससे पवनपुत्र के साथ- साथ महादेव भी प्रसन्न होते है.. और इसी लिए भक्त फूल के साथ भांग का चढ़ावा चढ़ाते है।
इतना ही हर मंगलवार के दिन मंदिर में सबसे पहले पवनपुत्र हनुमान जी का पाठ किया जाता है और फिर उन्हें भांग का भोग लगाया जाता है.. जिसके लिए मंदिर में पूरे विधिविधान के साथ भांग को घोटकर तैयार किया जाता है और फिर भोग के रुप में हनुमान जी पर चढ़ाया जाता है।
मान्यता है कि जो भक्त पूरी आस्था के साथ इस मंदिर में आकर हनुमान जी को भांग का भोग लगाते हैं.. बजरंगबली उसकी इच्छा जरुर पूरी करते है… इतना ही नहीं उसके घर में सकारात्मक शक्तियों का वास होने लगता है… अगर किसी व्यक्ति के शुभ काम करने में दिक्कतें पैदा होती है.. तो वो इस मंदिर में आकर एक बार बूढ़े हनुमान जी के दर्शन जरुर करें… इसके बाद आपके जीवन में जो चमत्करी परिवर्तन उन्हें देखकर आप भी चौंक जायेगें।
वैसे आपको बता दें बजरंगबली को ऐसा करने के लिए किसी और ने नहीं बल्कि खुद उनके प्रभु श्रीराम ने ही कहा था.. जी हां दोस्तों श्रीराम ने ही हनुमान जी को ये आज्ञा दी थी कि जो भी आप पर भगवान शिव की प्रिय भांग चढ़ायेंगा उसकी इच्छा आप जरुर पूरी करेंगे।
अब ये तो आप सभी जानते है कि भगवान राम की आज्ञा हनुमान जी हमेशा मानते है.. वैसे जानकारों की माने तो अगर किसी व्यक्ति का कोई काम रुका है.. तो एक बार इस अद्धुत मंदिर में जरुर जायें, उसकी सारी बाधांए दूर हो जायेंगी है।
आपको बता दें हनुमान जी की ये अनोखी प्रतिमा मंदाकिनी नदी की गोद से लगभग चार सौ पहले निकली थी… तब मूर्ति को बनारस के महान विद्वान पंडितों ने इसे मंदिर में स्थापित किया था।
दोस्तों ये तो आप सभी को पता है कि चिरंजीवी होने की वजह से बजरंगबली हर युग में उपस्थित रहते है.. यहां तक कलयुग में भी वो एकलौते ऐसे भगवान है जो मौजूद है… और यही कारण है कि धरती पर स्तिथ गंधमादन पर्वत को उनका निवास स्थान माना जाता है….पर सोचने वाली बात है कि आखिर इस बात में कितनी सच्चाई है…
माना जाता है कि श्री राम और माता सीता ने बजरंगबली को कलयुग में अधर्म के नाश के लिए अमरता का वरदान दिया था.. जिसके बाद से ही मारुती जी पृथ्वी पर कुछ खास स्थानों पर निवास करते हैं.. उनमें से एक गंधमादन पर्वत भी है।
कहा जाता है कि हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर दिशा में गंधमादन पर्वत नाम की एक जगह है… फ़िलहाल यह क्षेत्र तिब्बत में आता है और यहां पहुंचने के तीन रास्ते बताये जाते हैं…. पहला आप नेपाल के रास्ते होते हुए मानसरोवर के आगे जा सकते, दूसरा भूटान के पहाड़ी क्षेत्र से और तीसरा रास्ता अरुणाचल प्रदेश से चीन होते हुए गया है।
हमारे हिंदू धर्म के कई पुराणों और धर्म ग्रंथों में भी गंधमादन पर्वत को बजरंगबली का निवास स्थान बताया गया है… और तो और श्रीमद्भागवत गीता में भी इस पर्वत के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है… इतना ही नहीं महिर्षि वेद व्यास द्वारा रचित महाभारत में भी इस पर्वत के बारे में बताया गया है.. जिसमें साफ लिखा है कि यहीं पर पांडव और पवनपुत्र हनुमान की भेंट हुई थी।
लेकिन सोचने वाली बात है बजरंगबली ने पूरी धरती में गंधमादन पर ही रहने को क्यों चुना….
इसका जवाब हमें श्रीमद्भगावत् पुराण में मिलता है… कहा जाता है कि भगवान राम जब धरती से बैकुंठ की ओर जा रहे थे तब उन्होंने हनुमान जी को धरती पर रहने का आदेश दिया था.. अपने प्रभु की इच्छानुसार पवनपुत्र ने ईश्वरीय शक्ति से युक्त गंधमादन को अपने निवास स्थान के रूप में चुना।
वहीं अपने अज्ञातवास के समय सभी पांडव हिमवंत पार करके गंधमादन पर्वत के पास पहुंचे थे.. जब कुंती पुत्र भीम सहस्त्रदल के साथ कमल लेने के लिए इस पर्वत पर आए तो वहां उन्होंने हनुमान जी को लेटा देखा.. भीम ने बजरंगबली को हटने को कहा, लेकिन अंजनिपुत्र वहां से नहीं हटे.. उन्होंने भीम से उनके चरण हटा ने को कहा.. बलशाली होने के बाद भी भीमसेन हनुमानजी को हिला तक नही पाये थे… और तब उनका अहंकार चूर-चूर हो गया था।
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