दोस्तों आज न सिर्फ आपको इस बात का सबूत देंगे कि पवनपुत्र हनुमान ने भी शादी की थी… बल्कि आपको उनकी पत्नी के बारे में भी बतायेंगे… पर सोचने वाली बात ये हैं कि जब उन्होंने शादी की थी तो फिर उन्हें ब्रह्मचारी क्यों कहा जाता…
आपको बता दें हैदराबाद से लगभग दो सौ बीस किलोमीटर दूर तेलंगाना के खम्मम जिले में येल्नाडु नाम का एक गांव है… उस गांव में एक ऐसा मंदिर है.. जो चीख- चीख कर इस बात की गवाही देती है कि बजरंगबली ने भी विवाह किया था… क्यों कि इस मंदिर में हनुमान जी अपनी पत्नी के साथ विद्यमान है… यानी की इस मंदिर में हनुमान जी के साथ उनकी पत्नी की मूर्ति भी स्थापित है.. और दोनों की साथ में पूजा की जाती है… यही नही मान्यता है कि अगर किसी स्त्री या पुरुष का वैवाहिक जीवन अच्छा न चल रहा हो.. या उसकी शादीशुदा जिंदगी में कई तरह की दिक्कतें पैदा हो रही हो.. तो इस मंदिर में हनुमान जी के साथ उनकी पत्नी के दर्शन कर के वो इन सारी समस्याओं से छुटकारा पा सकता है।
कहते हैं संकटमोचन हनुमान के उनकी पत्नी के साथ दर्शन करने से पति-पत्नी के बीच के सारे तनाव खत्म हो जाते हैं… क्यों कि इस मंदिर में हनुमान जी के साथ उनकी पत्नी की कृपा भी प्राप्त होती है… और पति- पत्नी को इन दोनों के सामने ये वादा करना होता है कि वो आगे का अपना जीवन अच्छे से बीतायेंगे.. और अगर वो इस वादे को नहीं निभाते… यानि की घर जाकर फिर से कलह शुरु कर देते हैं.. तो उनका बहुत बुरा हाल होता है… फिर जो उन्हें तकलीफें झेलनी पड़ती हैं.. उस से उन्हें कोई नहीं बचा सकता है।
इसलिए शादीशुदा लोगों के लिए इस मंदिर की खास मान्याता है… तो दोस्तों अगर आपका भी कोई सगा- संबंधी ऐसा है, जिसके दांपत्य जीवन में संघर्ष चल रहा हो तो उसके साथ ये वीडियों जरुर शेयर करें।
चलिये अब आपको बतातें है कि आखिर उनकी ये पत्नी कौन थी..
दोस्तों हनुमान जी की इस पत्नी का नाम था सुवर्चला… जो सूर्य देव के तेज से प्रकट हुयी थी… और हुनामन जी से विवाह करने के बाद वो वापस उनके तेज में विलीन हो गयी… क्यों कि इनका जन्म सिर्फ इसी लिए हुआ था ताकि वो बजरंगबली से शादी कर सके।
वैसे आपको बता दें शास्त्र पाराशर संहिता में भी हनुमान जी की पत्नी सुवर्चला और उनके विवाह के बारे में बताया गया है।
पर अब सवाल ये उठता है कि संकटमोचन हुनमान की ऐसी क्या मजबूरी थी.. जो उन्हें ब्रह्मचारी होते हुये भी विवाह करना पड़ा…
दरअसल, सभी देवताओं ने मिलकर ये तय किया था कि पवनपुत्र हनुमान को शिक्षा भगवान सूर्य देव देंगे… जिसके बाद हनुमान जी को ज्ञान प्राप्त करने के लिए सूर्य देव के पास भेजा दिया गया… सबसे पहले सूर्य देव ने हनुमान जी को संस्कारों का ज्ञान दिया… इसके अलावा भगवान सूर्य 9 तरह की दिव्य विद्याएं जानते थे… और एक बाद एक उन्होंने इन नौ विद्याओं का ज्ञान मारुति को देना शुरु किया… समय बीतने के साथ सूर्य देव हनुमान जी को पांच विद्याएं सिखा चुके थे.. लेकिन जब बाकी चार विद्याओं की बारी आयी तो वो संकोच करने लगे… क्यों कि उन चार विद्याओं के लिए हनुमान जी का शादीशुदा होना जरुरी था… लेकिन हनुमान जी ने ब्रह्मचर्य़ का पालन करने का संकल्प लिया था… ऐसे में उनका विवाहित होना संभंव नही था।
और सूर्य देव द्वारा वो ज्ञान सिर्फ उन्हीं लोगो को मिलता था तो शादीशुदा होते थे.. यानि भगवान सूर्य से वो ज्ञान प्राप्त करने के लिए हनुमान जी योग्य नहीं थे।
ऐसे में सूर्य देव ने उनसे कहा… पुत्र हनुमान आगे की चार विद्याओं के लिए तुम्हारा विवाहित होना जरुरी है… इसलिए मैं अपने तेज से एक कन्या प्रकट करुंगा… और तुम्हें उससे विवाह करन होगा… ताकि मैं तुम्हें बाकी चार विद्याएं सीखा सकूं… लेकिन इससे तुम्हारा ब्रह्चर्य का संकल्प नही टूटेगा.. क्यों की तुम्हारे ज्ञान प्राप्त करने के बाद वो कन्या वापस से मुझमें समा जायेगी।
अपने गुरु की आज्ञा मानकर हनुमान जी शादी के लिए तैयार हो गये.. और उस कन्या से विवाह कर लिया… जिसका नाम सुवर्चला था… हनुमान जी के बाकी चार ज्ञान प्राप्त करने के बाद वो कन्या वापस भगवान सूर्य में समा गयी।
और इस तरह मारुति नंदन विवाह के बंधन में तो बंधे… लेकिन मानसिक और शारीरिक रूप से वो हमेशा एक ब्रह्मचारी रहे।