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एक ऐसा हिंदु धर्म ग्रंथ, जिसे पढ़ते ही हो जाती है मृत्यु

by Divine Tales

दोस्तों सालों पहले एक यक्षिनी द्वारा ऐसा ग्रंथ लिखा गया था… जो अगर किसी को मिल जाये.. तो उसकी दुनिया बदल दें… लेकिन फिर वो ग्रंथ कोई नही पढ़ सकता… पता है क्यों… क्यों कि वो एक शापित ग्रंथ है… श्राप के अनुसार अगर किसी ने उस ग्रंथ को गंदी नियत के साथ पूरा पढ़ लिया… तो अगले ही पल उसकी मृत्यु हो जायेगी… और यदि किसी ने उसे आधा पढ़ा… तो वो पागल हो जायेगा.. यही वजह है कि ये ग्रंथ हमारे देश में बैन है।

अब सोच रहें होंगे कौन सा है ये ग्रंथ और इसमे ऐसा क्या है …

दरअसल, हम बात कर रहें हैं नीलावंती ग्रंथ की… जिसमें ऐसे मंत्र और विद्याएं लिखी है.. जिनकी मदद से आप किसी भी पेड़- पौधे, जीव जंतु यहां तक की जानवरों से भी बात कर सकते है… और उनकी भाषा को समझ सकते हैं… इतना ही नही इस ग्रंथ की मदद से किसी भी गड़े हुए खजाने का पता लगाया जा सकता है… यानी की अगर ये ग्रंथ किसी गलत हाथों में पड़ जायें तो बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है।

चलिये अब ये जानते है ये ग्रंथ किसने लिखे… और क्यों इस ग्रंथ को इतना भयानक श्राप मिला…

सालों पहले उत्तर प्रदेश के एक गांव में नीलवंती नाम की एक छोटी सी लड़की अपने पिता के साथ रहा करती थी.. नीलवंती पांच साल की थी तब से वो पेड़ पौधों, नेवला, छिपकली, हाथी, कछुआ इन सबसे बातें करती थी।

इतना ही नही वो जीव जंतु उसे जमीन के अंदर गड़े उन खजानों के बारे में भी बता देते थे.. जिनके बारे में इंसान कभी नही जान  सकता था… लेकिन नीलंवती को धन संपत्ति का कोई लालच नही था… इसलिए वो कभी उन खजानों की खोज के लिए नही जाती थी…  नीलंवती जब कुछ और बड़ी हुयी तो वो सपने में भूत-प्रेत और आत्माओं से भी बात करने लगी… और वो सब उसे भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में पहले ही बता दिया करते थे।

हैरानी की बात तो ये थी कि जब नीलवंती 13-14 साल की हुयी तो वो आत्माएं उसके सपने में नही बल्कि हकीकत में आकर उससे बात करने लगी… नीलवंती समझ चुकी थी कि वो बाकी इंसानों से अलग है… और ये उसकी दुनिया नही है… वो किसी और दुनिया की है और यहां आकर फंस गयी है…  

नीलवंती जब सोलह साल की हुयी… तो वो सारे भूत- प्रेत उसे रोज नयी-नयी विद्या और तंत्र- मंत्र बताने लगे… नीलवंती उनकी बातयी विद्याओं को रोज रात में किया करती थी… और उन मंत्रों को याद रखने के लिए उसको एक जगह लिख लिया करती थी.. उस तंत्र विद्या को पूरा करने के लिए वो किसी पक्षी की बलि दें.. तो कभी अपना ही खून बहाने लगे।

एक दिन एक आत्मा नीलवंती के सपने में आयी और कहा कि तुम एक यक्षिनी हो.. यही कारण है कि तुम बाकी लोगो से अलग हो… तुम्हें अपनी दुनिया में वापस जाना होगा… इसके लिए उस आत्मा ने नीलवंती को बरगद के एक पेड़ के पास जाने को कहा… जो उसके गांव से काफी दूर था।

बस फिर क्या नीलवंती उस पेड़ की खोज में निकल गयी… रास्ते में उसे एक आदमी दिखायी दिया जो बैलगाड़ी से कही जा रहा था… नीलवंती ने सोचा क्यों न इसकी मदद ले ली जाये… इसी सोच के साथ वो उस आदमी के पास गयी और उससे उस गांव के बारे में पूछने लगी जहां बरगद को वो पेड़ था।

वो आदमी के व्यापारी था… उसने जैसे नीलवंती को देखा वो उसके रुप का दीवाना हो गया.. उसने कहा मैं तुम्हें उस गांव पहुंचा तो दूंगा पर उसके लिए तुम्हें मुझसे शादी करनी होगी… नीलवंती ने तुरंत ये प्रस्ताव स्वीकार कर लिया… पर उसने भी एक शर्त रखी.. शर्त ये कि मैं रात को कभी आपके साथ नही रहूंगी.. और मैं कहा जा रही हूं क्यों जा रही हूं… ये बात आप कभी नही पूछेंगे।

व्यापारी नीलवंती की बात मान गया.. दोनो ने शादी कि और फिर उसने नीलंवती को उस गांव पहुंचा दिया… संयोग से वो व्यापारी उसी गांव का था जहां बरगद का वो पेड़ था।

नीलवंती दिनभर अपने पति के साथ रहती.. और रात होते ही बरगद के पेड़ के पास पहुंच जाती… वहां मौजूद भूत- प्रेत उसे तरह- तरह की विद्याएं सीखाते… जिन्हें वो बहुत अच्छे से अंजाम देती… और साथ ही एक जगह लिख लेती।

इस तरह कई महीने बीत गये.. फिर एक दिन नीलवंती के लिए भविष्यवाणी हुयी… कि आज रात जब तुम एक जानवर की बलि दोगी.. तो उसके बाद नदी में एक लाश तैरते हुए आयेगी… उसके गले में एक धागा बंधा होगा… वो धागा बहुत शक्तिशाली मंत्रों से अभिमंत्री होगा… और उसकी मदद से तुम अपने असली रुप में आकर वापस अपनी दुनिया में लौट जाओगी… पर याद रहे ये मौका तुम्हें सिर्फ एक बार ही मिलेगा।

नीलवंती पूरी तरह से तैयार थी… रात होते ही वो अपने पति के घर से निकलकर उस पेड़ के पास पहुंच गयी… उसने जैसे ही बलि दी.. नदी में तैरती हुयी एक लाश वहां आ गयी… नीलवंती उसके गले में बंधे धागे को खोलने लगी… पर बहुत कोश्शिों के बाद जब वो नही खुला तो उसने अपने दांतों से उसे खोलने की कोश्शि की… इसी सब के बीच गांव के कुछ लोग वहां से गुजर रहे थे.. उन्होंने नीलवंती को देखा तो उन्हें लगा ये तो डायन है लाश खा रही है… उन लोगो ने तुरंत उसे मारने का फैसला किया… पर जब तक वो लोग नीलवंती के पास उसे मारने पहुंचते… उसका पति उसके सामने आकर खड़ा हो गया… हैरानी की बात तो ये थी कि अब वो एक साधारण इंसान नही बल्कि एक भयानक पिशाच का रुप ले चुका था।

गांव के साथ साथ नीलवंती की आंखें भी फटी की फटी रह गयी… वो लोग जिसे आम इंसान समझ रहे थे वो वास्तव में एक पिशाच था… उसने एक- एक कर के सारे गांव वालों को अपने नाखूनों से फाड़ डाला.. इतने में नीलवंती खुद की जान बचाने के लिए वहां से जगंल की ओर भाग निकली.. तभी वो पिशाच अचानक उसके सामने आ गया… उसने कहा मुझे पता है कि तुम एक यक्षिनी हो… मुझे तुम्हारी लिखी वो किताब चाहिए.. जिसमें तुमने सारे मंत्र और विद्याएं लिखी है।

नीलवंती समझ गयी थी कि वो किताब अगर किसी गलत हाथों में पड़ी तो अनर्थ हो जायेगा… उसने उस पिशाच को मारने की कोश्शि भी की… पर वो दुबारा से जीवित हो गया.. नीलवंती को लगा वो इस पिशाच को नही मार पायेगी।

तभी उसने अपनी किताब को ये श्राप दिया कि जो भी इसे गलत इरादे से पूरा पढ़ेगा उसकी मृत्यु हो जायेगी… और जो आधा पढ़ेगा वो पागल हो जायेगा।

इतना कहकर वो वहां से गायब हो गयी.. उसके बाद नीलवंती को कभी किसी ने नही देखा… हैरानी की बात तो ये थी कि अब वो अपनी दुनिया में वापस नही जा सकती थी.. फिर वो कहां गयी.. इतना ही नही आखिर बार उसकी लिखी ये किताब किसे मिली ये भी किसी को नही पता… वही कुछ लोगो का कहना है कि ये किताब बाद में एक ब्राह्मण को मिली थी.. जिसके बाद इसे ग्रंथ का रुप दिया गया… और इसका नाम नीलावंती ग्रंथ पड़ा।

कहते है आज के समय में इस ग्रंथ की ओरिजनल क़ॉपी सिर्फ तीन- चार लोगो के पास ही है।

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