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क्यों लहसुन प्याज खाना अधर्म माना जाता है, क्या रिश्ता है इनका ग्रहों से

by Divine Tales
क्यों लहसुन प्याज खाना अधर्म माना जाता है, क्या रिश्ता है इनका ग्रहों से

लहसनु- प्यास हमारी जिंदगी का एक खास हिस्सा बन चुका है…

क्यों लहसुन प्याज खाना अधर्म माना जाता है, क्या रिश्ता है इनका ग्रहों से

अगर हमारे खानें में ये न पड़े तो खाना बेस्वाद लगने लगता है.. लेकिन कई लोग लहसुन- प्याज खाने को अधर्म बताते है.. पर सोचने वाली बात है कि आखिर किसी खाने वाली चीज को धर्म- अधर्म से क्यों जोड़ दिया गया… क्या है इसके पीछे का रहस्य…

ये बात तब कि है जब अमृत पाने के लिए देवता और असुर साथ मिलकर समुद्र मंथन कर रहे थे.. मंथन के बाद जब उस से अमृत निकला तो उसे पाने के लिए देवताओं और असुरों में झगड़ा होने लगा.. जिसे सुलझाने के लिए और देवताओं को अमृत पिलाने के लिए भगवान विष्णु एक परम सुंदरी स्त्री मोहिनी का रुप लेकर आये…

कहते है मोहिनी की खूबसूरती ऐसी थी कि जो भी उसे देखता वो सब कुछ भूल जाता था… और इसी बात का फायदा देवताओं को हुआ।

मोहिनी की सुंदरता देखकर असुर खुद पर काबू नही रख पा रहे थे… और उन्होंने मोहिनी से पूछा आप कौन है सुंदरी, लगता है अब आप ही हमारे इस झगड़े का निपटारा करा सकती हैं.. तब मोहिनी ने कहा अच्छा होगा अगर आप लोग इसे खुद ही आपस में बांट लें… लेकिन मोहिनी की सुंदरता का जादू सभी के सिर चढ़ कर बोल रहा था..

असुर इस बात पर डट गये कि अब आप ही के हाथों से हम इस अमृत को ग्रहण करेंगे… देवताओं और असुरों को अमृत पिलाने के लिए मोहिनी ने उन्हें एक लाइन में खड़ा कर दिया.. और सबसे पहले देवताओं को अमृत पिलाना शुरु किया..

लेकिन तभी असुरों की लाइन में स्वरभानु नाम के राक्षस को विष्णु जी के मोहिनी रुप की सच्चाई पता चल गयी और वो वेश बदलकर देवताओं की लाइन में आकर खड़ा हो गया.. जैसे ही मोहिनी उसे अमृत देने के लिए आगे बढ़ी, स्वरभानु का सच सबके सामने आ गया…

ये देखकर सभी देवता गुस्से से आग- बबूला हो हुये… और तब क्रोध में आकर भगवान विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र स्वरभानु पर छोड़ दिया.. जिसकी वजह से उसके शरीर के दो हिस्से हो गये।

 शरीर कटने के बाद उसका सिर वाला भाग राहु कहलाया और धड़ वाला भाग केतु.. जिन्हें हमारे शास्त्रों में छाया ग्रह कहा जाता है.. इतना ही नहीं स्वरभानु का जब शरीर कटा दो उसके खून की बूंदे धरती पर गिर गयी थी..

और इन्हीं बूदों से लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई.. कहते है इसी लिए लहसुन- प्याज से हमेशा तीखी सी गंध आती रहती है… इतना ही नही मान्यताओं के अनुसार इसे मासांहारी की श्रेणी में रखा जाता है…

और यही वजह है कि शास्त्रों में इसका सेवन करना अधर्म माना जाता है।

आप लोगो ने ऐसा कई बार किया और सुना भी होगा कि भगवान के खाने में कभी भी लहसुन- प्याज से बनी किसी चीज का भोग नही लगता.. और इसकी यहीं वजह है कि इसकी उत्पत्ति एक राक्षस के खून से हुई है।

लेकिन वही दूसरी ओर कुछ लोगो का ये भी मानना है कि राहु-केतु के शरीर में अमृत की कुछ बूंदें पहुंच गई थीं… इसलिए उसमें रोगों से लड़ने की क्षमता भी पायी जाती है.. यानी की बीमारियों के लिए ये संजीवनी बूटी के समान काम करता है।

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार कुंडली में राहु ग्रह खराब होने से इंसान को कई तरह की बीमारियों का समान करना पड़ता है… शुगर, बल्डप्रेशर, पाइल्स, और हार्ट प्रॉब्लस जैसे बीमारियां उसे बनी रहती है… वही केतु की दशा खराब होने की वजह से जातक को जोड़ों में दर्द की समस्या से जूझना पड़ता है।

दोस्तों अगर आप भी राहू- केतू दोष से परेशान है तो तुरंत इन उपायों को अपना कर आप अपनी मुसीबतों से छुटकारा पा सकते हैं।

जिसमें से पहला उपाय है विष्णु जी के मंत्र का जाप

अगर आप इस दोष से मुक्ति पाना चाहते है तो ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः.. इस मंत्र का एक सौ आठ बार जाप करें… सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और उसे प्रार्थना करने के बाद इस मंत्र का जाप करें.. आपकी बीमारियां जल्दी ही ठीक हो जायेंगी।

वही अगर आपकी कुंडली में केतु दोष निकलता है तो अपने पास हमेशा हरे रंग का रुमाल जरुर रखें… ऐसा करने से आपकी परेशानियां कम होगी और कोई अनहोनी भी नहीं होगी।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रविवार के दिन कन्याओं को दही और हलवा खिलाना भी बहुत शुभ होता है.. ऐसा करने से केतु के दोष दूर होते हैं…. और घर में सकारात्मक शक्तियां को प्रवेश होता है, जिसकी वजह से आपकी दिक्कतें कम होने लगती हैं।

इसके अलावा अगर आप सक्षम है तो किसी गरीब कन्या का विवाह कराने या उसके विवाह में सहयोग कर के आप इस दोष से मुक्ति पा सकते है… ऐसा करने से  राहु- केतु का दुष्प्रभाव कम  होता है।

दोस्तों अगर आप इससे जुड़ी वीडियो देखना चाहते हैं तो नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।  

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कौन है शिव की नगरी वाराणसी का कोतवाल

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