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देवों के देव महादेव को किसकी वजह से पशु योनी में रहना पड़ा

by Divine Tales

दोस्तों कहते हैं अगर इंसान का समय खराब हो तो उसे राजा से रंक बनने में समय नहीं लगता… लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि महादेव का समय भी खराब चल सकता है… जी हां सही सुना आपने.. एक बार भगवान शिव का समय ऐसा खराब हुआ कि उन्हें पशु बनकर इधर- उधर भटकना पड़ा..

वैसे आपको बता दें ये सब किसी और की वजह से नहीं बल्कि शनिदेव की वजह से हुआ था..

दरअसल, शनिदेव लोगों को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं.. और इसी के चलते उनकी वक्रदृष्टि जिस पर पड़ जाती है.. उस व्यक्ति को अमीर से गरीब होने में सिर्फ कुछ पल लगते हैं… लेकिन न्याय का देवता कहे जाने वाले भगवान शनि सिर्फ मनुष्यों के लिए ही नहीं बल्कि देवताओं के भी कर्म फलदाता मान जाते हैं… और इसी वजह से एक बार महादेव को भी उनकी वक्रदृष्टि का शिकार होना पड़ गया था.. जिस कारण उन्हें धरती पर हाथी बनकर रहना पड़ा।

अब आप सोच रहें होंगे कि आखिर ये सब हुआ कैसे..

एक बार भगवान शनि महादेव से मिलने कैलाश गये.. वहा पहुंचकर उन्होंने शिव जी को प्रणाम किया और उनसे कहा.. प्रभु मैं कल से आपकी राशि में प्रवेश करने वाला हूं.. यानि की कल से मेरी वक्र दृष्टि आप पर पड़ने वाली है… ये सुनकर भोलेनाथ आश्चर्य में पड़ गये.. कुछ देर सोचकर उन्होंने शनिदेव से पूछा… कितने समय तक आपकी वक्र दृष्टि मुझ पर रहेगी.. शनिदेव ने उनसे कहा महादेव सवा प्रहर तक मेरी वक्रदृष्टि आप पर रहेगी।

इतना सुनकर भगवान शिव चिंता में पड़ गये और शनिदेव की दृष्टि से बचने के लिए उपाय सोचने लगे… अगला दिन शुरु होते ही भोलेनाथ धरती पर पहुंच गये और वहां जाकर हाथी का रुप ले लिया.. सवा प्रहर तक के लिए वो हाथी के रुप में ही धरती पर इधर- उधर भटकने लगे।

जब समय निकल गया.. तो महादेव ने सोचा अब सवा प्रहर पूरे हो चुके है.. अब मुझे अपने धाम वापस जाना चाहिए.. शनिदेव की दृष्टि भी अब मुझ पर नहीं पड़ेगी.. शिव जी जैसे ही कैलाश पहुंचे, उन्होंने देखा वहां भगवान शनि पहले से ही उपस्थित है.. शनिदेव ने भोलेनाथ को प्रणाम किया.. शिव जी पहले तो  मुस्कुराये और फिव उनसे बोले.. शनि महाराज आपकी वक्रदृष्टि का मुझ पर कोई असर नहीं हुआ.. मैं बिल्कुल ठीक हूं…  ये सुनकर शनिदेव हंसी आ गयी, वो बोले प्रभु कैसी बात कर रहें है आप.. आप से भला कहा कुछ छुपा है.. आप तो मुझे न्याय का देवता कहते  है.. मेरी वक्रदृष्टि से आज तक न कोई देव बच पाये हैं और न ही कोई असुर.. आज मेरी वक्रदृष्टि के कारण ही आपको मृत्यलोक में एक हाथी का जीवन जीना पड़ा… मेरी वजह से ही आप को देव योनी छोड़कर सवा प्रहर के लिए पशु की योनि में रहना पड़ा।

इस तरह मेरी वक्र दृष्टि आप पर पड़ गई और आपको इसका पात्र बनना पड़ा.. शनिदेव की न्यायप्रियता देखकर महादेव बहुत खुश हुये और उन्होंने भगवान शनि को अपने गल से लगा लिया।

लेकिन दोस्तों आपको बता दें महादेव इकलौते ऐसे देव नहीं जिन्हें शनिदेव की वक्रदृष्टि का शिकार होना पड़ा.. बल्कि एक बार उनकी ये दृष्टि भगवान कृष्ण और प्यारी राधा रानी पर भी पड़ी थी.. लेकिन तब जो हुआ उसे जानकर आप चौंक जायेंगे…

एक प्रचलित कथा के अनुसार जब शनिदेव ने अपनी वक्र दृष्टि श्रीकृष्ण और राधा रानी पर डाली… तो उन पर इसका बिल्कुल उल्टा असर हुआ…  दोनों ने ही बड़े प्यार से इसका स्वागत किया… आमतौर पर शनिदेव की कृदृष्टि जिस पर पड़ती… उसका जीवन मायूसी और उदासी से भर जाता… उस व्यक्ति के काम बिगड़ने लगते… लेकिन श्रीकृष्ण के साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.. बल्कि शनिदेव की कूदृष्टि पड़ने पर दोनों का तेज और ज्यादा हो गया।

ये सब देखकर शनिदेव हैरान- परेशान हो गए… बहुत सोच विचार कर के भी जब वो इसके पीछे की वजह नहीं जान पाये… तब वे स्वयं भगवान कृष्ण के पास गए और उनसे पूछा… प्रभू आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ… कि मेरी कुदृष्टि पड़ने के बाद भी किसी के जीवन में इतनी खुशी हो… लेकिन आपका तेज तो और बढ़ गया… ये कैसी लीला है आपकी… तब श्रीकृष्ण ने मुस्कुराते हुए कहा.. शनिदेव आप कर्मफल दाता है… लोगों को उनके कर्मों के अनुसार दंड देते है… ऐसे में आप से डरने की जरुरत नहीं है किसी को… और मैं बस सभी को यही समझाने का प्रयास कर रहा हूं… कि अगर आपके कर्म अच्छे है… तो शनिदेव की वक्र दृष्टि भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती.. ये लीला मैनें इसीलिए की.. जिससे लोग आपके न्याय से डरे नहीं… बल्कि उसका स्वागत करें।

यानि की अगर आपके कर्म अच्छे और सही हैं.. तो शनिदेव की दृष्टि भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती… इसलिए हमेशा कर्म जरुर अच्छे करें।

वैसे आपको बता दें शनिदेव को कर्मफल दाता कि उपाधि भगवान श्रीकृष्ण ने ही दी थी।

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