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ब्राह्मण का पुत्र कैसे बना काल का सबसे बड़ा राक्षस

by Divine Tales

दोस्तों जिस रावण को सारे संसार में उसकी दुष्टता और असुरी प्रवृत्ति के कारण जाना जाता है… रामायण के अनुसार वो दशानन एक बेहद प्रसिद्ध और विद्वान ऋषि का पुत्र था.. जो कि एक प्रकांड ब्राह्मण थे… पर आपने कभी सोचा है… एक विद्वान ब्राह्मण का पुत्र इतना शक्तिशाली राक्षस कैसे बन गया…

दरअसल, रावण ऋषि विश्रवा का पुत्र था.. जो कि ब्रह्मा जी के सप्तऋषियों में से एक पुलस्त्य ऋषि के बेटे थे… यानी की ब्रह्मा जी रावण के पर दादा थे…. लेकिन रावण की माता राक्षसराज सुमाली की बेटी थी.. जिसका नाम कैकसी था… इसलिए रावण विद्वान ब्राह्मण भी था और एक अत्याचारी राक्षस भी… एक ओर उसे दुराचारी, पापी, अधर्मी, दुष्ट कहा जाता है.. तो वही उसे महान विद्वान, प्रकांड पंडित, महाज्ञानी राजनीतिज्ञ, महाप्रतापी और महापराक्रमी योद्धा भी कहते हैं।

पर इसके अलावा एक वजह और है… जिसके कारण रावण असुरी प्रवृत्ति का हुआ…

आपको बता दें, भगवान श्रीहरि विष्णु की वजह से राक्षसों का हाल बहुत बुरा हो रखा था… ऐसे में उन्हें अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए एक ऐसे शख्स की जरुरत थी.. जिसमें ब्राह्मणों का ज्ञान भी हो.. और राक्षसों की शक्ति भी… इसके लिए सुमाली ने अपनी बेटी कैकसी की मदद ली… कैकसी का जन्म राक्षसराज सुमाली और गंधर्व राजकुमारी केतुमती से हुआ था… गंधर्व कन्या के पेट से जन्म लेने के कारण कैकसी रुप की धनी थी… उसकी सुंदरता देख, देवता भी होश खो बैठते थे… इसलिए सुमाली ने अपनी बेटी को ऋषि विश्रवा के पास जाने को कहा.. क्यों कि उस समय विश्रवा ऋषि के चर्चे तीनों लोको में थे.. उनके ज्ञान के आगे किसी का टिक पाना मुश्किल था।

कैकसी ने अपने पिता की बात मानी और ऋषि विश्रवा के आश्रम पहुंच गयी.. उस समय बहुत तेज आंधी तूफान आया हुआ था… मौसम खराब होने की वजह से ऋषि विश्रवा पूजा कर के अपने आश्रम वापस लौट रहे थे  कितभी कैकसी ने उन्हें रोक लिया… और उनके साथ प्रेंम क्रिया करने की इच्छा जाहिर की… उसके सौंदर्य और रुप को देखकर ऋषि विश्रवा खुद को रोक नहीं पा रहे थे… लेकिन फिर उन्होंने कैकसी को ये कहकर मना कर दिया.. कि वो बिना विवाह के उसके साथ रति क्रिया नही कर सकते।

इस पर कैकसी तुरंत उनसे विवाह करने के लिए मान गयी… जिसके बाद ऋषि विश्रवा ने उसके साथ गंधर्व विवाह किया… पर ग्रह- नक्षत्रों को देखते हुए ऋषि विश्रवा चाहते थे.. कि वो दोनों इस वक्त एक- दूसरे के पास न आये… क्यों कि इससे पैदा होने वाली संतान असुरी हो सकती है… जब ये बात ऋषि ने कैकसी को समझायी… तो उसने कहा, स्वामी आप जैसे ज्ञानी ब्राह्मण की संतान राक्षस कैसे हो सकती है… उसकी अदाओं के जादू के आगे ऋषि विश्रवा की सारी बातें बेअसर थी… आखिर में ऋषि, कैकसी की सुंदरता के जाल में फंस गये…. जिसके बाद दोनों एक- दूसरे के प्यार में डूब गये।

कथा के अनुसार जिस समय ऋषि विश्रवा और कैकसी एक- दूसरे के पास आये… वो राक्षसी समय था… उस समय पति- पत्नी का रति क्रिया करना सही नही होता… और अंत में वहीं हुआ जिसका ऋषि विश्रवा को डर था… कैकसी ने अशुभ समय में गर्भ धारण किया… जिसकी वजह से समय आने पर उसने एक असुरी प्रवृत्ति के पुत्र को जन्म दिया… जो रावण के नाम से सारे संसार में प्रचलित हुआ.. कहते है रावण पैदा होते ही बडों जैसे दिखने लगा था… उसे देखते ही वहां की दासियां भाग गयी… क्यों कि उन्होंने इससे पहले ऐसा विचित्र नवजात बच्चा नही देखा था।

पुराणों के अनुसार… रावण ने अपने पिता की देख- रेख में ही वेदों और पवित्र ग्रंथों का ज्ञान हासिल किया… उसने क्षत्रियों के ज्ञान, युद्धकला, आयुर्वेद, ज्योतिष और तंत्र विद्या में भी महारत हासिल की…. रावण को संगीत का भी बहुत शौक था… रूद्र वीणा बजाने में रावण को हराना असंभव था… इतना ही नहीं उसे वायलन भी बनाया था, जिसे रावणहथा कहा जाता है।

लेकिन रावण के अंदर असुरी गुणों को बनायें रखने के लिए उसके नाना सुमाली ने बहुत प्रयास किये… कहते है बाद में रावण का पालन- पोषण उसके नाना के यहां ही हुआ… जहां उसे असुरों और दैत्यों की नैतिकता और शक्तियों के बारे में बताया गया… जिसके बाद असुरों के सम्राज्य को बचाने के लिए रावण ने पहले ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर के उनसे शक्तियां प्राप्त की.. क्यों कि उसे पता था कि ब्रह्मा जी उसके परदादा है… फिर बाद में शिव जी की तपस्या कर के उनसे अमरता का वरदान मांगा… हालांकि शिव जी ने उसे अमरता का वरदान देने से मना कर दिया… जिसके बाद रावण ने उनसे ये वरदान मांगा कि उसे मनुष्यों और वानरों के सिवा और कोई न मार सकें।

दरअसल, रावण वानरों और इंसानों को बहुत कमजोर समझता था… उस लगता था कि उसकी शक्तियों के आगे इनका टिक पाना असंभव है… लेकिन बाद में भगवान विष्णु ने श्रीराम का मानव अवतार लेकर उसका ये घमंड चूर कर दिया।

इस तरह रावण को ब्राह्मण और राक्षस दोनों के गुण मिले और दोनों की शक्तियां भी… जिसके कारण वो ब्राह्मण होने के बावजूद भी दुनिया के सबसे शक्तिशाली राक्षस के रुप सारे संसार में प्रसिद्ध हुआ।

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