होम महाभारत वो कन्याएं जिन्हें मिला था आजीवन कुंवारी रहने का वरदान

वो कन्याएं जिन्हें मिला था आजीवन कुंवारी रहने का वरदान

by Divine Tales

क्या आप जानते हैं… पौराणिक काल में कई ऐसी कन्याएं हुई जिन्हें ये वरदान मिला कि प्रेम बनाने के बाद भी कभी भी उनका कुंवारापन भंग नहीं होगा… लेकिन सोचने वाली बात है इतना बड़ा वरदान किन कन्याओं को मिला और क्यों…

बता दें, सबसे पहला नाम आता है अहिल्या देवी का… देवी अहिल्या की कथा का वर्णन वाल्मीकि रामायण के बालकांड में मिलता है। वो अत्यंत ही सुंदर, सुशील और पतिव्रता नारी थीं। इनकी शादी ऋषि गौतम से हुई थी। दोनों ही वन में रहकर अपनी तपस्या और ध्यान करते थे। शास्त्रों की माने तो देवराज इन्द्र ने गौतम की पत्नी अहिल्या के साथ पती की गैरमौजूदगी में छल से प्रेम किया था….

लेकिन जब ऋषि गौतम को अनुभव हुआ कि अभी रात बची है और सुबह होने में समय है, तब वह एक बार फिर से आश्रम की ओर चले गए। लेकिन जब ऋषि आश्रम के पास पहुंचे तब इन्द्रदेव उनके आश्रम से बाहर निकल रहे थे। उन्होंने देवइन्द्र को पहचान लिया।

देवराज इंद्र द्वारा किए गए इस कुकृत्य को जानकर ऋषि क्रोधित हो उठे और इन्द्रदेव के साथ देवी अहिल्या को भी श्राप दे दिया। जिसके बाद देवी अहिल्या ने क्षमा-याचना की और कहा कि ‘इसमें मेरा कोई दोष नहीं है’, लेकिन गौतम ऋषि ने कहा कि तुम शिला बनकर यहां निवास करोगी। त्रेतायुग में जब भगवान विष्णु के अवतार राम लेंगे, तब उनके स्पर्श से एक बार फिर से तुम्हारा उद्धार होगा।

इस लिस्ट में अगला नाम आता है लंकापति रावण की पत्नी मंदोदरी का…

दरअसल, मंदोदरी को चिर कुमारी के नाम से भी जाना जाता है। ये किसी और की नहीं बल्कि राक्षसराज मयासुर और अप्सरा हेमा की पुत्री थीं। वहीं अप्सरा की पुत्री होने के चलते मंदोदरी अत्यंत खूबसूरत थीं वहीं पिता राक्षस कुल के थे इसीलिए वो आधी दानव भी थी।

वहीं अगर मंदोदरी की शादी की बात की जाए तो महादेव के एक बरदान की वजह से ही उनकी विवाह लंकापति राक्षस रावण से हुआ था…. 

दरअसल, मंदोदरी ने महादेव से वरदान के रुप में मांगा था कि उनका पति धरती पर सबसे विद्वान के साथ-साथ शक्तिशाली हो। जिसके बाद उसका विवाह रावण से हुआ था, जिससे मेघनाद, महोदर, प्रहस्त, विरुपाक्ष भीकम वीर जैसे बलवान पुत्रों का जन्म हुआ। 

पुत्रो को जन्म देने के बाद भी मंदोदरी का कौमार्य भंग नहीं हुआ दरअसल इन्हें चिर कौमार्य का वरदान प्राप्‍त था।

इसके साथ ही अगली कन्या की बात की जाए तो तारा का नाम आता है…

तारा के बारे में बहुत ही कम लोग जानते है. वह एक अप्सरा थी जो समुद्र मंथन के समय निकली थी। बाली और सुषेण दोनों ही इसे अपनी पत्नी बनाना चाहते थे। उस समय यह फैसला हुआ कि जो तारा के वामांग में खड़ा है वह उसका पति और जो दाहिने हाथ की तरफ खड़ा है वह उसका पिता होगा। जिसके बाद ही बाली का विवाह तारा से हो गया।

जब बाली के भाई शुग्रिव ने उसका वध किया था, उसके बाद उसकी पत्नी तारा को बहुत दुख पहुंचा था। जब तारा को ये पता चला कि बाली को छल से मारा गया है तो उन्होंने श्रीराम को कोसा और उन्हें एक श्राप दिया।

श्राप के अनुसार भगवान राम अपनी पत्नी सीता को पाने के बाद जल्द ही खो देंगे। उसने यह भी कहा कि अगले जन्म में उनकी मृत्यु उसी के पति बाली के हाथों ही जाएगी। जिसके बाद द्वापर युग में श्री नारायण ने भगवान कृष्ण के रूप में जन्म लिया था और उनके इस अवतार का अंत एक शिकारी भील जरा जो कि बाली का ही दूसरा जन्म था उसके द्वारा हुआ था।

दोस्तों, आपको इस लिस्ट में पांडवों की पत्नी कुंती का भी नाम आता है…

दरअसल, कहा जाता है कि यदुवंशी राजा शूरसेन की पृथा नामक कन्या और वसुदेव नामक एक पुत्र था। पृथा को राजा शूरसेन ने अपनी बुआ के संतानहीन लड़के कुंतीभोज को गोद दे दिया। कुंतीभोज ने उसी कन्या का नाम कुंती रखा। इस तरह कुंती अपने असली माता पिता से दूर रही। जैसे कि दशरथ ने अपनी पुत्री शांता को अंगदेश के राजा रोमपद को गोद दे दिया था।

कुंती अपने महल में आए महात्माओं की सेवा करती थी। एक बार वहां ऋषि दुर्वासा भी आए थे। कुंती की सेवा से खुश होकर ऋषिवर ने कहा, ‘पुत्री! मैं तुम्हारी सेवा से अत्यंत प्रसन्न हुआ हूं और तुझे एक ऐसा मंत्र देता हूं जिसके प्रयोग से तू जिस देवता का स्मरण करेगी वह तत्काल तेरे सामने प्रकट होकर तेरी इच्छा पूर्ण करेगा।’

इस तरह कुंती को एक अद्भुत मंत्र मिल गया। कुंती का विवाह हस्तिनापुर के राजा पांडु से हुआ था। कर्ण के साथ-साथ कुंती के युधिष्ठिर, अर्जुन और भी तीन और पुत्र थे। वहीं नकुल और सहदेव पांडु की दूसरी पत्नी माद्री के पुत्र थे।

https://www.facebook.com/divinetalesofficial/videos/2408187499330504/

0 कमेंट
0

You may also like

एक टिप्पणी छोड़ें