शिवलिंग पर थूकने वाले के साथ क्या हुआ
दोस्तों महादेव जितने अनोखे है उतने ही निराले उनके भक्त भी हैं… अगर वो अपने भक्त के लिए किसी भी हद तक जा सकते है… तो उनके भक्त भी उन्हें प्रसन्न करने के लिए कुछ भी करने लगते है… आज हम आपको शिव जी के ऐसे ही अजीबो गरीब भक्त के बारे में बतायेंगे जो उनपर जल नहीं थूक चढ़ाता था…पर सवाल ये भी उठता है कि आखिर वो ऐसा क्यों करता था… किस बात का गुस्सा था उसे महादेव से..

दरअसल, ये बात एक शिकारी की है, जिसका नाम थिम्मन था… अपनी गुजर- बसर के लिए उसके पास शिकार करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था.. एक दिन थिम्मन जंगल से शिकार कर के लौट रहा था कि तभी उसे एक शिवलिंग दिखाई दिया… उसे देखते ही थिम्मन को बहुत अजीब सा महसूस हुआ और वो भाव- विभोर हो गया… क्यों कि थिम्मन जंगल में रहने वाला एक सामान्य शिकारी था.. इसलिए उसे पूजा-पाठ की विधि नहीं पता थी।
थिम्मन शिकार से लौटा हुआ था इसलिए उसके पास चढ़ाने के लिए मांस के टुकड़े के सिवा और कुछ नहीं था… उसने शिवलिंग को साफ किया और मांस के टुकड़े को उस पर चढ़ा दिया… इसके बाद वो वापस खुशी- खुशी अपने घर लौट गया… शिवलिंग पर मांस चढ़ाना थिम्मन की रोज की आदत हो चुकी थी…. वहीं दूसरी तरफ शिवलिंग की देख- रेख के लिए कभी- कभी दूसरे गांव का एक ब्राह्मण भी आया करता था…
एक दिन जब वो आया तो उसने देखा शिवलिंग पर मांस चढ़ा हुआ है.. ये देखकर वो बहुत हैरना हुआ… लेकिन फिर उसे लगा ये शायद किसी जानवर की करतूत है.. वरना कोई इंसान ऐसा पाप थोड़े करेगा… उसने तुरंत मांस हटाकर शिवलिंग को पवित्र कर के उसपर जल से अभिषेक किया और वापस अपने घर चल गया।
अब थिम्मन हर रोज शिव जी पर मांस चढ़ाता और ब्राह्ममण जब भी शिवलंग पर मांस देखते तो दुखी हो जाते… ब्राह्मण ने सोचते भला कोई जानवर एक हरकत रोज- रोज तो करेगा नहीं.. फिर कौन है जो ये महापाप रोज कर रहा है.. ब्राह्मण के पास सवाल तो बहुत सारे थे पर उसका जवाब देने वाला कोई नहीं था।
एक दिन थिम्मन शिकार कर के वापस लौटा तो उसने महादेव का अभिषेक करने को सोचा… अभिषेक के लिए जल की जरुरत थी.. और समस्या ये थी कि जल भरा किसमें जाये… आस- पास देखा तो उसे जल भरने के लिए उसे कोई बर्तन नहीं दिखा… इसके बाद थिम्मन ने पास में बह रही नदी से अपने मुंह में पानी भरा और शिवलिंग पर अर्पित कर दिया.. उसने फिर से मासं चढ़ाया और वापस अपने घर चला गया।
जब ब्राह्मण देव आये तो वो देख के परेशान हो गये… आखिर कौन ऐसा मूर्ख है जो आज शिवलिंग पर मांस के साथ- साथ थूक कर गया है… ब्राह्मण परेशान हो गये और शिव जी से पूछने लगे.. प्रभु आखिर कौन है ये जो आपको रोज अपिवत्र कर के चला जाता है… आप मुझे बतायें मैं उसे सजा दूंगा।
तभी अचानक शिवलिंग से एक आवाज सुनाई देती है… जो कहती है ब्राह्मम देव आपकी तरह वो इंसान भी मेरा परम भक्त है… वो एक शिकारी है और वो जो कुछ भी श्रद्घा से मुझे चढ़ाता है मैं उसे स्वीकार कर लेता हूं… अगर आप को भी उसकी अनोखी भक्ति के दर्शन करने है… तो जाकर झाड़ियों के पीछे छुप जायें.. और फिर जो हो उसे अपनी आँखों से देखे।
ब्राह्मण झाड़ियों के पीछे जाकर छुप गया… तभी कुछ देर में वहां वो शिकरी आ गया… थिम्मन ने देखा शिवलिंग की एक आंख से खून बह रहा है.. उसने कुछ जड़ी- बूटी लगाई पर खून की धारा बहना बंद नहीं हुयी… ये देखकर थिम्मन ने चाकू से अपनी एक आंख निकालकर शिवलिंग पर लगा दी… लेकिन इसके बाद शिवलिंग की दूसरी आंख से भी खून निकलने लगे..
थिम्मन ने चाकू निकाला और अपनी दूसरी आंख काटकर शिविलंग पर लगाने का सोचा… वो ऐसा करने ही वाला था की तभी शिवलिंग से महादेव प्रकट हो गये… उन्होंने थिम्मन को न सिर्फ ऐसा करने से रोका बल्कि उसकी आंख भी उसे वापस लौटा दी।
भगवन भोलेनाथ ने उसे ये आशीर्वाद दिया की सारे संसार में लोग तुम्हें कन्नापा नयनार के नाम से जानेंगे.. और तुम मेरे परम भक्त कहलाओं।
झाड़ियों के पीछे छुपा ब्राह्मण सब कुछ देखता रहा और उसकी आंखें भर आई.. इस कथा से ये बात साफ हो गयी कि अगर आपका मन सच्चा है तो भक्ति का हर तरीके भगवान भोलेनाथ स्वीकार कर लेते है।
प्रचलित कथाओं की माने तो थिम्मन ही अपने अगले जन्म में पांडु पुत्र अर्जुन था.. जिसे श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया था।