मंत्र जप एक ऐसा उपाय है, जिससे सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं। शास्त्रों में मंत्रों को बहुत शक्तिशाली और चमत्कारी बताया गया है। हिन्दू धर्म के सबसे शक्तिशाली ,सबसे प्रभावी मन्त्रों के अर्थ, जप विधि और उनका जाप करने से होने वाले फायदे। इस पोस्ट में हम बात करेंगे लंकापति रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्त्रोत के अर्थ और जाप विधि –

शिव तांडव स्त्रोत की कथा
मान्यता है कि एक बार रावण ने अपना बल दिखाने के लिए कैलाश पर्वत ही उठा लिया था और जब वह पूरे पर्वत को ही लंका ले जाने लगा तो उसका अहंकार तोड़ने के लिए भोलेनाथ ने अपने पैर के अंगूठे मात्र से कैलाश को दबाकर उसे स्थिर कर दिया.इससे रावण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया और वह दर्द से चिल्ला उठा – ‘शंकर शंकर’ – जिसका मतलब था क्षमा करिए, क्षमा करिए और वह महादेव की स्तुति करने लगा.
इस स्तुति को ही शिव तांडव स्तोत्र कहते हैं. कहा जाता है कि इस स्तोत्र से प्रसन्न होकर ही शिव जी ने लंकापति को ‘रावण’ नाम दिया था.शिव तांडव स्त्रोत में तांडव शब्द ‘तंदुल’ से बना है जिसका अर्थ उछलना होता है। तांडव एक तरह का नृत्य है जिसे बेहद उर्जा और शक्ति के साथ किया जाता है।जोश के साथ उछलने से मन-मस्तिष्क को शक्तिशाली किया जाता है। तांडव का नृत्य केवल पुरुषों को करने की ही अनुमति दी गयी है।
गायत्री मन्त्र जप करने की वधि और उनसे होनेवाले लाभ
जप करने की विधि
इस मन्त्र का जाप सुबह से समय नियमित रूप से करना चाहिए। प्रातः काल या प्रदोष काल में इसका पाठ करना सर्वोत्तम होता है। पहले शिव जी को प्रणाम करके उन्हें धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। इसके बाद गाकर शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें। अगर नृत्य के साथ इसका पाठ करें तो सर्वोत्तम होगा। पाठ के बाद शिव जी का ध्यान करें और अपनी प्रार्थना करें।
शिव तांडव स्त्रोत के लाभ
शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से मन मस्तिष्क शांत रहता है।जीवन में आने वाली बाधायों से मुक्ति मिलती है।शिव तांडव स्त्रोत के नियमित रूप से जाप करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं इस मन्त्र के जाप से आप ना केवल धनवान बल्कि गुणवान भी बनते हैं। इससे आपको शिव की विशेष कृपा होगी ।
जीवन में शांति का अनुभव होगा। यदि आपसे अनजाने में कोई गलती हो जाती है तो क्षमा आपको जल्द मिल जाएगी।शनि को काल माना जाता है परंतु भगवान शिव स्वयं महाकाल हैं।अत: शनि से पीड़ित व्यक्ति को इसके पाठ से बहुत लाभ प्राप्त है।इसके इलावा जिन लोगों की जन्म-कुण्डली में सर्प योग, कालसर्प योग या पितृ दोष होता है। उन लोगों के लिए भी शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करना काफी उपयोगी होता है।