दोस्तों कहते है श्रीकृष्ण से सच्चा प्रेम सिर्फ राधा ने नहीं, बल्कि मीरा ने भी किया था… अगर राधा कृष्ण के प्रेम की दीवानी थी.. तो मीरा उनके दर्शन की… लेकिन श्रीकृष्ण की परम भक्त मीरा की मृत्यु आज भी सब के लिए रहस्य बनी हुई है… क्या आप जानते है कैसे हुई थी उनकी मृत्यु.. क्या उन्हें श्रीकृष्ण खुद लेने आये थे…
श्रीकृष्ण की परमभक्त मीराबाई की मृत्यु का क्या है रहस्य

दरअसल, श्रीकृष्ण की भक्ति मीरा को जितना सुकून देती थी.. उतना ही उसके परिवार वालों के लिए जी का जंजाल बन चुकी थी.. क्यों श्रीकृष्ण के सिवा मीरा को और कुछ भी दिखाई नहीं देता था.. इसीलिए शादी के बाद उनका जीवन और भी मुसीबतों से भरा हो गया था।
कहते है एक बार मीराबाई के सुसर महाराणा सांगा उनसे इतने नाराज हो गये थे कि क्रोध में आकर उन्होंने मीरा से कहा तुम्हारी वजह से मेरे और मेरे परिवार का बहुत अपमान हुआ है..और तुम्हारी वजह से ही मेरे परिवार को बहुत कुछ सुनना पड़ता है.. अच्छा होगा कि तुम जाकर कही डूब मरो… ये सब सुनकर मीरा बहुत दुखी हुई और श्रीकृष्ण का नाम जपते- जपते वो एक नदी के पास पहुंच गयी..
जैसे ही उन्होंने नदी में कूदने के लिए अपना पैर आगे बढ़ाया.. वैसे ही पीछे से किसी ने उनका हाथ पकड़कर उन्हें घसीट लिया.. मीरा ने जब देखा तो वहां कोई और नहीं बल्कि उनके प्रभु श्रीकृष्ण थे.. उन्हें देखते ही मीरा बेहोश हो गयी और उनकी गोद में गिर गयी।
जब होश आया तो वहां कोई नहीं था.. इसके बाद मीरा वृंदावन से वापस अपने ससुराल मेवाड़ चली गयी.. वहां जाकर उन्होंने अपने पति से विनती की कि वो उन्हें द्वारिका में कृष्ण मंदिर में रहने की इजाजत दें दे।
कहते है एक बार जन्माष्टी के अवसर पर मीरा द्वारिका के कृष्ण मंदिर में अपनी भक्ति में झूम रही थी.. तभी श्रीकृष्ण की ओर देखते हुए वो उनसे कहने लगी.. ओ मुरलीधर क्या तुम मुझे बुला रहे हो… चिंता मत करो मैं आ रही हूं.. ये सुनकर वहां खड़े राणा सांगा और बाकी लोग चौंक गये.. वो आश्चर्य से मीराबाई की ओर देखने लगे..
इसके बाद मीराबाई के शरीर से एक दिव्य प्रकाश निकला और मंदिर के द्वार अपने आप बंद हो गये.. किसी को कुछ समझ नहीं आया.. लेकिन जब मंदिर के दरवाजे खोले गये तो मीरा की साड़ी कृष्ण की मूर्ति से निपटी हुई थी और मीरा कृष्ण में समा चुकी थी।
अब आपको मीराबाई की जिंदगी से जुड़ी कुछ और रोचक बातें बतातें हैं…
इतिहासकारों की माने तो मीरा बाई ने गोस्वामी तुलसीदास को अपना गुरु बनाया था.. मान्यता है कि कृष्ण भक्त मीरा ने राम भजन भी लिखा था, हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता.. लेकिन कुछ लोगो का मानना है कि पत्रों के जरिये मीराबाई और तुलसीदास के बीच बात- चीत हुई थी…
माना जाता है कि मीराबाई ने तुलसीदास जी को एक पत्र लिखकर उन्हें ये बताया था कि उनके परिवार के लोग उन्हें श्री कृष्ण की भक्ति नहीं करने देते… इसलिए श्रीकृष्ण को पाने के लिए अब आप ही मुझे कोई उपाय बतायें… कहते हैं तब तुलसीदास जी के कहने पर ही मीरा ने कृष्ण भक्ति के भजन लिखे थे.. जिसमें से “पायो जी मैने राम रत्न धन पायो” आज भी बहुत प्रचलित है…
कुछ लोगो का मानना हैं कि मीरा बाई अपने पिछले जन्म में वृंदावन की एक गोपी थीं.. इतना ही नहीं उन दिनों राधा रानी उनकी मित्र भी हुआ करती थीं.. अपने पिछले जन्म में भी मीरा के दिल में सिर्फ भगवान कृष्ण ही बसते थे और वो उन्ही से प्यार करती थी..
एक गोपा से शादी करने के बाद भी..उन्होंने श्री कृष्ण से प्रेम करना नहीं छोड़ा.. तब भी न उनके लगाव में कोई कमी आयी थी और न ही उनके प्रेंम में… अपने उस जन्म में मीरा ने कृष्ण से मिलने की तड़प में अपनी जान दे दी थी… कहते है बाद में उसी गोपी का जन्म मीरा के रूप में हुआ।
दरअसल, बचपन से ही मीराबाई के मन में कृष्ण की छवि बसी थी.. इसलिए युवावस्था से लेकर मृत्यु तक उन्होंने भगवान गिरधर को ही अपना सब कुछ माना… कृष्ण के प्रति उनका प्रेंम तब चरम पर पहुंच गया जब उनके जीवन में एक घटना घटित हुई…
एख दिन बचपन में उनके पड़ोस में किसी व्यक्ति के यहां बारात आई थी.. वो व्यक्ति काफी धनी था… बारात देखन के लिए सारी स्त्रियां छत पर खड़ी हो गयी.. मीराबाई भी अपनी माता के साथ बारात देखने के लिए अपनी छत पर आ गईं.. बारात में दूल्हे को देखकर मीरा ने अपनी मां से पूछा कि मेरा दूल्हा कौन है..
इस सवाल पर मीराबाई की मां को हंसी आ गयी.. और उन्होंने मजाक में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि यही है तुम्हारे दूल्हा… उसी दिन से ये बात मीरा के मन में बैठ गयी और वो श्रीकृष्ण को ही अपना पति मानने लगीं.. इसके बाद मीरा के मन कृष्ण के लिए लगाव बढ़ता ही चला गया।
तो दोस्तों आपको ये जानकारी कैसी लगी हमें जरुर बतायें। अगर आप इसका वीडियो देखना चाहते हैं, तो दिये गये लिंक पर क्लिक कर के देख सकते हैं।