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श्री राधा नाम पुकारने से क्यों मर गए सभी निर्दोष जानवर

by Divine Tales

भगवान का नाम लेने से हर एक कष्ट दूर हो जाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं एक बार श्री राधा का नाम पुकारने से कई निर्दोष कीट और जानवरों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ गया था…
असल में एक बार की बात है पूरे गोकुल की गोपियां श्री कृष्ण का नाम भूलकर केवल राधा रानी का नाम ले रही थी… ऐसे ही कई दिन बीत गए.. और ये सब श्री कृष्ण के मित्र सुदामा से देखा नहीं जा रहा था…
बस फिर क्या होना था… एक दिन क्रोध में आकर सुदामा ने सभी गोपियों से कहा कि क्या तुम बिना वजह बार बार राधा का नाम लेती हो.. तुम लोगों को तो सिर्फ कृष्णा का नाम लेना चाहिए…
इतना कहने पर भी गोपियां नहीं मानी और वो फिर से राधा राधा करना लगीं… उन्हीं में से एक गोपी ने कहा कि तुम हमें एक कारण बता दो की हम क्यों राधा नाम न लें…
बस गोपी के इतना कहने की देर थी कि तबी सुदामा ने सभी से कृष्णा बोलने को कहा… जैसे ही गोपियों ने कृष्ण बोला वैसे ही उनके सामने लगा एक सूखा पेड़ कल्प वृक्ष की तरह लहलहाने लगा… और तो और सुखे फूलों में भी चमक आ गई…
बात यहीं नहीं रुकी… इसके बाद सुदामा ने एक कीड़े को देखकर गोपियों से उसे लक्ष्य बना कर राधे राधे बोलने को कहा… जैसे ही उन्होंने ऐसा किया तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने सभी के होश उड़ा दिए…
असल में राधे नाम सुनते ही वो कीड़ा उसी जगह पर नष्ट हो गया… इसके बाद महल में एक तितली को देखकर सुदामा ने राधे राधे बोलने को कहा… एक बार फिर से वो तितली भी राधा नाम सुनते ही राख बन गई…
तभी उपहास उड़ाते हुए सुदामा ने गोपियों से कहा कि देखा तुम लोगों ने कृष्ण और राधा के नाम में कितना बड़ा अंतर है… कृष्ण का नाम लेते ही बेजान चीज में भी जान आ जाती है और राधा का नाम लेते ही जीव मृत में बदल जाता है …
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कृष्ण भक्ति का प्रतीक हैं तो राधा प्रेम का… और भक्ति के आगे प्रेम कभी जीत नहीं सकता है… भक्ति के सामने एक भटकाव के सिवा कुछ भी नहीं है…
अच्छा तभी भीड़ से एक कन्या बाहर निकली और उसने बड़े ही प्रेम से सुदामा से कहा कि मेरे सिर पर हाथ रखकर एक बार राधा राधा कह दीजिए…
लेकिन तभी घबराते हुए सुदामा ने कहा कि मैं ऐसा नहीं कर सकता वरना तुम भी नष्ट हो जाओगी….
इतना सुनते ही उस बच्ची ने कुछ ऐसा बताया जिसे सुनकर वहां मौजूद जितने भी लोग थे वो हैरान हो गए… उसने कहा कि पहले वो एक कीड़े की योनि में जन्मी थी… राधा नाम सुनकर उसे वहां से मुक्ति मिल गई… इसके बाद वो तितली बन गई… लेकिन फिर से राधा नाम ने उसे दोबारा उस योनि से मुक्ति दिलवा दी… जिसके बाद उसे मनुष्य योनि प्राप्त हुई… वो मनुष्य योनि जो 84 लाख योनियों के बाद मिलती वो मात्र राधा नाम सुन लेने से एक बार में ही मिल जाती है…
तो दोस्तों, इसी बात पर कमेंट में राधे राधे जरूर लिखिएगा…
वहीं दोस्तों, आपको एक और राधा रानी से जुड़ी हैरान करने वाली बात बताते हैं…दोस्तों, क्या आप जानते हैं… राधा रानी बचपन में अंधी थी… लेकिन सोचने वाली बात है कि आखिर कैसे उनको अपनी आंखों की रौशनी वापस कैसे मिली और क्यों वो इस तरह से पैदा हुईं….
दरअसल ऐसा कहा जाता है कि एक बार राधा रानी के पिता वृषभानु जी एक सरोवर के पास भ्रमण कर रहे थे कि तभी एकदम से उनकी नजर सरोवर के ही एक खूबसूरत से कमल के फूल पर लेती एक सुंदर सी बच्ची पर गई…
उस बच्ची को देखते ही वृषभानु मंत्रमुग्ध हो गए और फिर वो उसको लेकर सीधा अपने धर आ गए…. इसके साथ ही वो खुशी के मारे अपने पत्नी के सामने गए और उस बच्ची के आने की खुशखबरी देने लगे…. जिसके बाद दोनों की ही प्रसन्नता का कोई ठिकाना नहीं था…
तभी दोनों ने एक बाद गौर की कि वो बच्ची अपनी आंखें नहीं खोल रही है…. उन दोनों ने ही हर एक कोशिश की कि उनकी पुत्खूरी बस एक बार आंख खोल ले लेकिन हर कोशिश नाकामयाब साबित हो रही थी….जिसके बाद दोनों ने ही ये मान लिया था कि सरोवर में मिली वो बच्ची अंधी है…
लेकिन आपको बता दें कि ये भी कुछ और नहीं बल्कि खुद राधा रानी की ही लीला थी… दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि माता लक्ष्मी की रुप कही जाने वाली राधा रानी बैकुंठ धाम से ही ये प्रण लेकर आईं थीं कि वो आँखें तभी खोलेंगी जब उनको अपने श्री हरी के रुप में जन्में कृष्ण के दर्शन हो जाएंगे…
बीतते समय के साथ हुआ भी यही जब अगले 11 महीने बाद खुद भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री कृष्ण का इस पृथ्वी पर आगमन हुआ तो इसी खुशी में उनके पिता नन्द बाबा ने सभी वृज वासियों को निमंत्रण भेजा।
जिसके बाद उस उत्सव में राधा रानी अपने पिता वृषभानु के साथ आईं थीं…. वहीं पर जब उनकी मुलाकात पालने में लेटे प्रभु श्री कृष्ण से हुई, तब कहीं जाकर राधा रानी के हृदय को शांति मिली और उन्होंने पैदा होते ही बंद नेत्रों को खोला और कृष्णा के दर्शन किए।

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