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हिन्दू धर्म की दस सबसे शक्तिशाली देवियां

by Divine Tales
हिन्दू धर्म की दस सबसे शक्तिशाली देवियां

हिन्दू धर्म की दस सबसे शक्तिशाली देवियां

हिन्दू धर्म की दस सबसे शक्तिशाली देवियां

दोस्तों वैसे तो हमारे पुराणों में कई ऐसी देवियों के बारे में बताया गया है जिन्होंने अपनी शक्ति और तप के बल पर असुरों और राक्षस को मुंह तोड़ जवाब दिया.. लेकिन आज हम आपको ऐसी दस देवियों के बारे में बातयेंगे जिनकी पूजा- अराधना करने मात्र से व्यक्ति के सारे दुख, दर्द मुसीबतें दूर भाग जाते है..

सबस पहले बात करते हैं राधा रानी की

देवी राधा का नाम हमेशा भगवान श्री कृष्ण के साथ लिया जाता है… कहते है राधा के बिना श्रीकृष्ण अधूरे है… आपको बता दें राधा कोई और नहीं बल्कि श्रीकृष्ण की शक्ति है… इतना ही नहीं राधा वो शक्ति है, जिन्हें भगवान कृष्ण खुद पूजते हैं.. राधा रानी और कृष्ण जी का एक-दूसरे के लिए निस्वार्थ प्रेंम और भक्ति की वजह दोनों का नाम तीनों लोको में श्रद्धा- भाव के साथ लिया जाता है…

श्रीराधा रानी को प्रेंम का प्रतीक माना गया है.. पुराणों की माने तो सारे वेदों का सार सिर्फ राधा रानी ही है.. जो व्यक्ति इस नाम को जपता रहता है.. उसे बैकुंड धाम की प्राप्ति होती है।

दूसरी है कामधेनु गाय

समुद्र मंथन के समय गाय के रूप में कामधेनु की उत्पत्ति हुई थी…  पुराणों की माने तो कामधेनु सभी गायों की माता है.. ये कोई और नहीं बल्कि खूबियों की देवी है… इतना ही नहीं कामधेनु माता के शरीर का हर हिस्सा एक प्रतीक के रुप में महत्व रखता है… जैसे उसके चार पैर हमारे चार वेदों को दर्शाते हैं… उसकी सींगों को देवताओं का प्रतीक माना गया हैं.. और उसके कूबड़ को हिमालय के समान कहा गया हैं…

गाय का दूध माधव और उससे बनने वाली चीजें मानव जीवन को पोषित करने का काम करती है… इसलिए हमारे हिन्दू धर्म में गाय को धरती की माता की माता भी कहा जाता है… जो मनुष्य सच्चे मन से कामधेनु गाय की पूजा करता हैं वह उनकी सारी इच्छाएं पूरी करती है।

अब बात करते हैं देवी तुलसी की…

हिंदू धर्म में देवी तुलसी को एक पौधे के रुप में पूजा जाता है.. आपने इनसे जुड़ी कई कथाएं सुनी होगी.. ऐसी ही एक कथा के अनुसार देवी तुलसी अपने पिछले जन्म में भगवान शिव के पुत्र जलंधर की पत्नी थी.. जिसका नाम वृंदा था… वृंदा के पतिव्रता की वजह से जालंधर को कोई भी नहीं मार सकता था… जिस कारण से वो देवताओं के लिए मुसीबत बन गया…

तब विष्णु जी ने एक ऐसा छल किया जिससे जलंधर का वध आसान हो गया… विष्णु जी की सारी सच्चाई जानकर वृंदा बहुत क्रोधित हुयी और उसने विष्णु जी को पत्थर होने का श्राप दे दिया.. जिसे आज भी हम लोग शालिग्राम के नाम से पूजते है.. इसके बाद वृंदा ने खुद को चिता की अग्नि में भस्म कर दिया और पौधे के रुप में जन्म लिया।

वैसे आपको बता दें भगवान विष्णु हर वो भोग अधूरा माना जाता है जिसमें तुलसी नहीं होती…इतना ही नहीं मरते हुये व्यक्ति के मुंह में तुलसी दल डालने से उसे बैकुंड की प्राप्ति होती है।

चौथी है गंगा देवी

देवी गंगा को हम सभी एक नंदी के रुप में पूजते है… जो सबसे पवित्र नदी मानी जाती है.. कहते हैं गंगा स्नान करने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं… साथ ही व्यक्ति को जीवन- मृत्यु के चक्र से छुटकारा मिल जाता है… देवी गंगा पर्वत राज हिमालय और हिमवान की बेटी है..

पुराणों के अनुसार गंगा एकलौती ऐसी नदी है जो स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल तीनों लोकों में बहती है… इसलिए इसे संस्कृत भाषा में त्रिपथगा कहा जाता है।

पांचवी है सीता माता

दोस्तों देवी सीता का जन्म धरती से हुआ था.. लेकिन इनकी भरण-पोषण मिथिला नरेश  राजा जनक के यहां हुआ था… देवी सीता पूरी स्त्री जाति के लिए एक ऐसा उदाहरण है, जिनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है.. वो सारी स्त्रियों के लिए शक्ति और सदाचार का प्रतीक है।

अगला नाम है देवी पार्वती

देवी पार्वती ने भी पर्वत राज हिमालय के यहां ही जन्म लिया था और देवी गंगा इनकी बहन है… देवी पार्वती भगवान शिव की शक्ति है.. और ये दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे माने जाते हैं… इतना ही नहीं जो कुंवारी लड़कियां अपना मन पसंद वर पाना चाहती है.. उनके देवी पार्वती की पूजा जरुर करनी चाहिए।

सांतवी देवी है देवी दुर्गा

जब सभी देवता महिषासुर के अत्याचारों से परेशान हो गये थे… तब उसके वध के लिए देवी दुर्गा की उत्पत्ति की गयी थी… सारे ब्रह्मांड में माँ दुर्गा स्त्री शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं. उनका ये रुप इस बात को दर्शाता है कि कभी किसी स्त्री को कमजोर और असहाय नहीं समझना चाहिए..

जो व्यक्ति नवरात्रि के समय मां दुर्गा के नौ रुपों की पूजा पूरे सच्चे मन और विश्वास के साथ करता है.. उसे माता का आशीर्वाद जरुर प्राप्त होता है।

आठवीं नाम है देवी काली

मां काली की उत्पत्ति भगवान शिव के नेत्र से हुयी थी और इन्हें मां पार्वती का ही एक रुप माना जाता है… रक्तबीज जैसे दुष्टों के नाश के लिए देवी पार्वती को ये रुप लेना पड़ा… अपने इस रुप में देवी अत्यंत क्रोधित दिखायी देती है..

इसलिए ये माता का विकराल रुप कहा जाता है…इस रुप में उनके माथे पर तीसरा नेत्र और चन्द्र रेखा शोभित है.. गले में कराल विष का निशान तथा खोपड़ियों की माला, और हाथ में त्रिशूल, चाकू और एक खून का कटोरा माता के इस रूप को और भयानक बन देता है।

अगली देवी है देवी लक्ष्मी

धन और समृद्ध की शक्तिशाली देवी लक्ष्मी माता को माना जाता है… सनातन धर्म में दीपावली के अवसर पर देवी की खास पूजा करने की परंपरा है.. आज के समय की बात करें तो इनकी कृपा की जररुत हर व्यक्ति को रहती है… लेकिन देवी की कृपा उनके खास भक्तों पर ही रहती है.. जो सच्चे मन से उनकी अराधना करते हैं।

दसवीं देवी है मां सरस्वती

हिन्दू धर्म में माता सरस्वती ज्ञान और संगीत की देवी मानी जाती है.. इनके आशीर्वाद से ही मनुष्यों अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर के जीवन में उन्नति कर पाता है…यानि की जिंदगी में अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए देवी सरस्वती का साथ बहुत जरुरी होता है.. क्यों कि किसी भी व्यक्ति के लिए ज्ञान से बड़ी शक्ति और कोई नहीं हो सकती।

आपको ये जानकारी कैसी लगी, हमें जरुर बतायें। अगर आप इसका वीडियो देखना चाहते हैं, तो दिये गये लिंक पर क्लिक कर के देख सकते हैं।

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